History of Red Fort in Hindi | दिल्ली के लाल किले का इतिहास

दिल्ली में स्थित लाल किला को 1648 में मुग़ल सल्तनत के पांचवें बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। लाल किला को बनवाने में लगभग 9 सालों का समय लगा।
लाल किला का इतिहास जितना खूबसूरत है उतना ही रहस्यमय भी है। जहाँ इसकी बेशकीमती नक्काशियां और चौंका देने वाली बनावट इसे खूबसूरत बनाते है वहीँ बदलते शासकों की कहानियां इसे रहस्यमय बनाते है। इस लाल किला ने मुगलों की मौज़ मस्ती से लेकर बादशाहों के भयानक युद्ध और अंग्रेज़ों के बेरहम अत्याचारों को बखूबी देखा है।

भारत में कुल दो लाल किला है। पहला लाल किला उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित है जो मुग़ल साम्राज्य के तीसरे शासक अकबर द्वारा 1558 में बनवाया गया था। दूसरा लाल किला दिल्ली में स्थित है, जिसका असली नाम किला-ए-मुबारक था और शुरुआत में इसका रंग सफ़ेद था। लेकिन वर्तमान समय में इसका रंग लाल दिखता है।

History of Red Fort in Hindi  दिल्ली के लाल किले का इतिहास

दिल्ली में स्थित लाल किला को 1648 में मुग़ल सल्तनत के पांचवें बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। लाल किला को बनवाने में लगभग 9 सालों का समय लगा। साथ ही इसका डिज़ाइन और स्ट्रक्चर आज भी वैज्ञानिकों को हैरान कर देते है। बिना किसी आधुनिक टेक्नोलॉजी के ऐसा किला बनाना आज भी मुश्किल लगता है।

लाल किला किसने बनवाया ?

शाहजहां को बड़े बड़े महल और किले बनवाने का बहुत शौक था। शाहजहां ने लाल किला से पहले भी कई मस्जिद बनवाए। आगरा के लाल किला को भी शाहजहां ने बहुत विकसित किया। शाहजहां के दो ख़ास कारीग़र उस्ताद अहमद लाहौरी और उस्ताद हमीद ने दिल्ली के यमुना किनारे को वातानुकूलित बताया। और फिर शाहजहाँ ने वहां शाहजहांनाबाद नाम का शहर बनाया।

अब शाहजहांनाबाद मुग़ल सल्तनत की नई राजधानी बन गई। और शाहजहां ने यहाँ 13 मई 1639 को किला-ए-मुबारक नाम के किले को बनवाने का हुक्म दे दिया। इस किले को आगे जाकर लाल किला के नाम से जाना जाने लगा। यह किला 1648 में बन कर तैयार होआ गया। जिसमे देश विदेश के प्रसिद्ध शिल्पकार, आर्किटेक्ट विशेष्ज्ञ और हज़ारों के तादाद में मजदूरों ने काम किया।

History of Red Fort in Hindi  दिल्ली के लाल किले का इतिहास

लाल किले के अंदर बेहद सुंदर बगीचे, पानी के फब्बारे भी बनाए गए। किले को अफ्रीका, ईरान, चाइना और अफगानिस्तान से मंगवाए गए कीमती पत्थरों की नक्काशियों से सजाया गया। लाल किले को दुश्मनों से बचाने इसके चारों ओर 60 फ़ीट ऊँची दीवारों से घेरा गया। 1658 में औरंगजेब के शासन में यहाँ एक मस्जिद बनवाया गया।

History of Red Fort in Hindi

शुरुआत में शाहजहां अपने दादा अकबर द्वारा बनाए आगरा के लाल किला में रहते थे। उन दिनों आगरा का वातावरण बेहद गर्म रहता था। शाहजहां को एक नए जगह की तलाश थी। मुग़ल शासक शाहजहां जब दिल्ली आए तब उन्हें यमुना की ठंडी जगह काफी पसंद आई। शाहजहां ने दिल्ली को मुग़ल साम्राज्य की नई राजधानी दिल्ली को बना दिया और 13 मई 1639 में लाल किला बनाने का कार्य शुरू किया गया। 

लाल किला के सजावट में कोई कमी न की गई। इसके डिज़ाइन में कई तरह के कीमती पत्थर और सोने चांदी की नक्काशियां की गई। हज़ारों लोगों की कड़ी मेहनत से 9 साल में लाल किला तैयार हो गया। इतिहास में इसकी इतनी तारीफ की गई है की कहा जाता है की लाल किला बनने के बाद शाहजहां इतना खुश हुए की उन्होंने यहाँ कुल 10 दिनों का समारोह रखवा दिया।

History of Red Fort in Hindi  दिल्ली के लाल किले का इतिहास
Image Credit Wikipedia

लाल किला बनने की ख़ुशी पुरे मुग़ल साम्राज्य को थी। इतिहास में इस समय को मुगलों का सबसे खूबसूरत समय बताया गया है। शाहजहां से यहाँ 10 सालों तक शासन किया। 3 मार्च 1658 को लाल किला पर औरंगजेब का अधिकार हो गया।  करीब 1707 तक यहाँ औरगंजेब का शासन चलने लगा और बाद में उसकी भी मृत्यु हो गयी।

औरंगजेब के बाद मुग़ल साम्राज्य में कोई अगला शासक नहीं होने के कारण लाल किला लगभग 30 साल तक लावारिस पड़ा रहा। लाल किला को लावारिस देख 4 नवंबर 1712 को जहंदर शाह ने इस पर अपना कब्ज़ा कर लिया। लेकिन यह भी ज्यादा दिनों  शासन नहीं चला पाया। फर्रुखसियर ने जल्द ही जहंदर शाह को हरा कर लाल किले पर अपना कब्ज़ा कर लिया फर्रुखसियर ने लाल किले के सारे कीमती पत्थर और हीरे जवाहरात जैसे सभी ख़ज़ाने को बेच दिया।

अब लाल किला बेहद गरीब हो गया। इसी कारण 18 मार्च 1719 में फर्रुखसियर को मोहम्मद शाह (रंगीले राजा) ने आसानी से हरा दिया। मोहम्मद शाह ने 1749 तक लाल किला पर अपना शासन चलाया। ठीक उसी समय फारसी सम्राट नादिर शाह ने मुहम्मद शाह को हरा दिया और लाल किले पर अपना अधिकार कर लिया। यह वही समय था जब नादिर शाह ने लाल किले में रखें कोहीनूर के हीरे को लूट लिया और लाल किला को पूरी तरह से बर्बाद करने के तीन महीने बाद वह अपने देश फ्रांस वापस चला गया।

अब मराठाओं का दौर आ गया था। 1752 में मराठाओं ने दिल्ली को जीत लिया और शाहजहांनाबाद का नाम बदल कर दिल्ली रख दिया। 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठाओं की हार हुई और अहमद शाह दुर्रानी ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया। हारे हुए मराठाओं की सेना कमजोर हो चुकी थी। अहमद शाह को हराने के लिए मराठाओं ने आलम शाह से हाथ मिलाया और अपनी सेना को मजबूत कर अहमद शाह दुर्रानी को हराकर दिल्ली पर वासप अपना कब्ज़ा जमा लिया।

1783 में मराठों की एक बार फिर हार हुई। जिसमें बघेल सिंह धालीवाल ने सिख मिसल किरोरीसिंघीया के साथ मिलकर दिल्ली को जीत लिया। बघेल सिंह धालीवाल ने दिल्ली को तो जीत लिया था, लेकिन शाह आलम को ही दोबारा राजा बना दिया गया। बदले में बघेल सिंह धालीवाल ने दिल्ली में सात गुरूद्वारे बनाने का हुक्म दिया। इसके बाद भारत में ब्रिटिश सरकार का कब्ज़ा हो गया। ब्रिटिश सरकार ने मुगलों से कई बार लड़ाई की। और आखिरी में 17 सितंबर 1857 में शाह आलम को अंग्रेजों ने अपना गुलाम बना लिया।

जीत के बाद ब्रिटिश सरकार ने लाल किला को अपना शाही निवास बना लिया। साथ ही लाल किले में बचे हुए खजाने को भी लूट लिया। बार बार हो रहे युद्ध से लाल किले को काफी नुकसान हुआ था। जिसकी मरम्मत लॉर्ड कर्जन ने 1899 में की। और सफेद महल पर लाल रंग चढ़वा दिया। और फिर किला-ए-मुबारक लाल किला के नाम से प्रसिद्ध हो गया। मैं आपको बता दूँ कि 1648 से लेकर 1857 तक लाल किला मुगलों का मुख्य शाही निवास रहा था।

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आखिरकार 15 अगस्त 1947 में अंग्रेज़ों से आजादी के बाद लाल किला पूरी तरह से भारत सरकार का हो गया। शुरुआती दिनों में भारत सरकार ने लाल किला को सैनिक परीक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। उसके बाद 2009 में लाल किला को यूनेस्को (विश्व विरासत स्थल) में शामिल किया गया और लाल किला को एक टूरिस्ट स्पॉट बना दिया गया।

आप जान ही गए होंगे कि लाल किला ने कितना कुछ देखा और कितना कुछ सहा है। लाल किला का इतिहास आज भी कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है। लाल किला में बहुत की ऐसी ईमारत है जिनकी अपनी अलग कहानी है। आइए एक एक करके सबका इतिहास जानते है।

मीना बाजार का इतिहास

शाहजहां की तीन बेटियां थी। जिनका नाम जहानारा, रौशनारा और गौहर आरा था। मीना बाजार इन्ही तीन बेटियों के लिए बनाया गया था। इस बाजार में लेडिस कपडे और ज्वेलरी बिकती थी। जो केवल के इन्ही तीन बेटियों के लिए ही थी। इस बाजार में मर्दों का आना मना था। यहाँ केवल स्त्रियों को ही आने की अनुमति थी।

आज के समय में लाल किला की उम्र 400 साल से भी ज्यादा हो गई है। अब लाल किला अपनी खूबसूरती के साथ साथ मजबूती भी खो रहा है। आज के समय में भारत सरकार अक्सर लाल किला की मरम्मत करते रहते है ताकि इसकी खूबसूरती बनी रहे। 

दीवान-ए-आम का इतिहास

दीवान-ए-आम बादशाह शाहजहां की अदालत हुआ करती थी। यहाँ बड़े से सफ़ेद संगमरमर के सिंहासन पर बैठ कर बादशाह अपनी प्रजा का न्याय करते थे। युद्ध योजना, प्रजा का विस्तार, गुप्त बैठक जैसी बाकि बैठकें भी दीवान-ए-आम में ही की जाती थी।

History of Red Fort in Hindi  दिल्ली के लाल किले का इतिहास

 दीवान-ए-आम के पीछे एक स्विमिंग पूल है जो शाहजहां और उनकी रानीयों की निजी पूल हुआ करता था। इसमें दूसरे किसी भी व्यक्ति को आने की अनुमति नहीं हुआ करती थी। शाहजहां इस पूल में अपनी सभी रानियों के साथ घंटों स्नान किया करते थे।

नहर-ए-बहिष्ट का इतिहास

लाल किला के नीचे कई सुरंगे और नहरें बनाई गयी थी। उनके एक मुख्य द्वार को नहर-ए-बहिष्ट का नाम दिया गया। नहर-ए-बहिष्ट की रचना व इसके जटिल डिज़ाइन को देख कर आज भी विशेषज्ञ हैरान हो जाते है। पास में बहने वाली यमुना का पानी नहर-ए-बहिष्ट में लाया जाता था। फिर उन पानियों को नहर-ए-बहिष्ट की सभी नहरों व् सुरंगों में भेजा जाता था जिससे महल को ठंडा रखा जा सके। गर्मियों के दिनों में महल को ऐसे ही ठंडा किया जाता था। 

रंग महल का इतिहास

रंग महल शाहजहां का मनोरंजन कक्ष हुआ करता था। शाहजहां यहाँ गीत, नृत्य और अन्य प्रकार के मनोरंजक कार्यक्रम का आनंद लेते थे। रंग महल के आधे हिस्से में पर्दा लगा रहता था। जिसकी दूसरी ओर महल की महिलाएं बैठती थी। रंग महल के नीचे तहखाने भी बनाए गए थे जिनमे में कैदियों को रखा जाता था। 

दीवान-ए-खास का इतिहास

दीवान-ए-खास बहुत ही खास कक्ष हुआ करता था। इसमें सिर्फ राजा और उनके मंत्रियों को ही आने दिया जाता था। यहाँ सिर्फ गुप्त कार्य जैसे युद्ध की रणनीति, गुप्त सन्देश, जासूस से सम्बंधित सभी प्रकार के कार्य किए जाते थे। अपराधियों को सजा भी दीवान-ए-खास में ही चुनी जाती थी।

महल के अंदर राजा और रानियों के पर्सनल कमरे भी हुआ करते थे। साथ ही रसोई, शौचालय और हथियार रखने का गोदाम भी था। इन सभी वस्तुओं को मिला कर उन्हें अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। इस संग्रहालय में लाल किला के सूक्ष्म इतिहास की जानकारी मिलती है।
Keerthi History
A History Graduate Who Wants To Tell The Real History Of India That The Education System Has Forgotten!

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