Cricket की शुरुआत 15वी शताब्दी में दक्षिण इंग्लैंड के गाओ व्हील में हुई थी। इस गाओ के गरीब बच्चे भेड़ बकरी चराते समय मनोरंजन के लिए इस खेल को खेलते थे। Cricket को कई पीढ़ियों तक सिर्फ बच्चों का खेल ही समझा गया। 16वी शताब्दी में यह खेल नौजवानों के बीच प्रसिद्ध होने लगा। उस समय Cricket को क्रैक्ट (Creckt) कहा जाता था।
17वी शताब्दी में यह खेल पूरे इंग्लैंड में प्रसिद्ध होने लगा। लोग अपना रविवार सिर्फ Cricket खेल कर ही बिताते थे। इंग्लैंड के गरीब ग्रामीण इस खेल को रोजी रोटी के लिए भी खेलते थे। आप इसे एक तरह का जुआ भी मान सकते है, जैसे आज कल भारत में ताश खेल कर लोग पैसे कमाते है। जबकि इंग्लैंड के अमीर और शहरी लोग इस खेल को सिर्फ मनोरंजन के लिए खेलते थे।
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पहले Cricket गरीबों और बच्चों का खेल माना जाता था। लगभग 1 शताब्दी बाद इस खेल को शहरों के अमीर लोगों द्वारा खेला जाने लगा। उन दिनों टीम में कप्तान और बल्लेबाज़ सिर्फ अमीर लोग ही बनते थे, जबकि गेंदबाज़ी और फील्डिंग के लिए सिर्फ गरीबों को चुना जाता था।
History of Cricket in Hindi
सन 1598 में इंग्लैंड के अदालत में जमीन पर विवाद का एक मामला सामने आया। जिसमे कॉर्नर और जॉन डेरिक नाम के दो बूढ़े व्यक्ति उस जमीन के मालिक होने का दावा कर रहे थे। उनका कहना था कि 50 साल पहले बचपन में वह इस जमीन पर Cricket खेलते थे। देखने वाली बात यह है कि इससे पहले किसी ने Cricket खेलने का दावा नहीं किया था। तभी से यही अनुमान लगाया जाता है कि Cricket 1550 के दशक से खेला जा रहा है।
शुरुआत में Cricket का बैट हॉकी की तरह होता था। और गेंद को जमीन पर लुढ़का कर गेंद बाज़ी की जाती थी। जैसा कि आप जानते है हॉकी में गेंद को छूना नहीं होता है और Cricket में गेंद को हाथ से फेंकना होता है। लेकिन गेंद और बल्ले का आकार दोनों खेलों में एक समान होता था।
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1611 में दो युवकों द्वारा चर्च में Cricket खेलने पर मुकदमा दर्ज किया गया। इसी मुक़दमे के कारण Cricket शब्द को डिक्शनरी में शामिल किया गया। कुछ समय बाद Cricket को इंग्लैंड के शाही खेल माना जाने लगा। फुटबॉल और हॉकी जैसे खेल विश्व के कई देशों में प्रसिद्ध हो गए लेकिन Cricket सिर्फ अंग्रेज़ों तक ही सिमित रह गया। और इसी कारण से Cricket कभी भी ओलम्पिक का हिस्सा नहीं बन पाया।
आप ऐसा भी मान सकते है कि जहाँ-जहाँ अंग्रेज़ों ने अपना कब्ज़ा जमाया, Cricket वहीँ का खेल बन गया। भारत भी ऐसे देशों की लिस्ट में आता है जहाँ अंग्रेज़ों ने कब्ज़ा किया था। क्युकि अंग्रेज़ विश्व के दूसरे काले और गरीब लोगों को इस खेल के लायक नहीं समझते थे। इसीलिए Cricket पुरे विश्व में प्रसिद्ध नहीं हो सका।
Cricket के पुराने नियम
- पहले खिलाडी अपने मन मुताबिक बल्ले का इस्तेमाल कर सकता था।
- गेंदबाज़ी के लिए सिर्फ 4 बॉल का एक ओवर हुआ करता था।
- कोई बॉउंड्री न होने के कारण चौके और छक्के नहीं हुआ करते थे।
- खिलाडी सिर्फ दौड़ कर रन ले सकता था।
- LBW (Leg By Wicket) नहीं हुआ करते थे।
Cricket में बदलाव
Cricket को समय समय पर तराशा और निखारा गया। जरूरत के अनुसार इसमें कई नए नियम और कानून भी जोड़े गए। 1744 में Cricket के लिए पहली बार नियम और कानून बनाए गए। Cricket ऐसा खेल बन चूका था जिसके लिए वर्दी भी बनाई गई थी। इससे पहले किसी भी खेल के लिए वर्दियां नहीं हुआ करती थी।
Cricket के नए नियम के अनुसार खेल में हमेशा दो अम्पायर होंगे जो दोनों टीमों के कप्तान को खुद चुनेंगे। पिच की लम्बाई 22 गज होगी और विकेट की ऊंचाई 22 इंच की होगी जिसमे तीन डंडे होंगे। विकेट के इन तीनों डंडों की दूरी 6 इंच होगी। इन दिनों बैट पर किसी तरह का कोई कानून नहीं था। सभी बल्लेबाज़ अपने अपने बैट को अपने अनुसार डिज़ाइन करवाते थे।
1774 में लेग बाय विकेट (LBW-Leg By Wicket) नियम को लागु किया गया। इससे खिलाडी विकेट को बॉल से बचाने के लिए अपने पैरों का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। 19वी सदी में वाइट बॉल का नियम लागु किया गया। बॉल के आकर और प्रकार में भी कई बदलाव किए गए। गेंद से लगने वाली चोटों से बचने के लिए गार्ड्स और पैड्स का आविष्कार हुआ।
विश्व का पहला Cricket क्लब सन 1760 में बना। इस Cricket क्लब का नाम हंबलेडोन (Hambledon) था। इसके बाद सन 1787 में MCC (Marylebone Cricket Club) की स्थापना हुई। MCC ने भी Cricket के लिए कई महत्वपूर्ण नियम और कानून बनाए। साथ ही इस खेल में कई सुधार किए और World Cricket Championship का हेड बन गया।
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MCC ने गेंद को जमीन पर लुढ़काने के बजाय जमीन पर पटकने का नियम लागू किया। इस नियम के साथ गेंदबाज़ गेंद को ज्यादा तेज़ फेंकने लगे और तेज़ गेंद फेंकने वाले गेंदबाज़ों की अपनी अलग प्रतियोगिता शुरू हुई। गेंदबाज़ों के लिए कई विकल्प सामने आने लगे। अब गेंदबाज़ स्पिन, फ़ास्ट, और स्विंग जैसी कला को सीखने और इस्तेमाल करने लगे।
MCC ने बैट के मनचाहे डिज़ाइन पर भी रोक लगा दी। गेंद को जमीन पर पटके जाने के कारण हॉकी जैसे दिखने वाले बैट से खेलना मुश्किल हो रहा था इसलिए बैट का आकार बदला गया। अब हॉकी जैसे दिखने वाले बैट को सीधा और सपाट बनाया जाने लगा जिसकी चौड़ाई 4 इंच की गई। बल्लेबाज़ों को भी अब कई तरह के गेंदबाज़ों का सामना करने के लिए तैयार होना पड़ा।
इंग्लैंड के गाओ में खेल के मैदान छोटे बड़े हुआ करते थे। जिस वजह से चौके और छक्के का कोई नियम नहीं था। इसीलिए बॉउंड्री को लाया गया। जबकि इससे पहले खिलाड़ी को सिर्फ दौड़ कर ही रन लेना पड़ता था। धीरे धीरे Cricket अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने लगा। Cricket इतना पसंद किए जाने वाला खेल बन गया कि दूसरे देश के लोग भी इसे पसंद करने लगे।
दूसरे विश्व युद्ध में Cricket की दुनिया को काफी नुकसान हुआ जिससे Cricket अस्सोसिएशन पूरी तरह से ख़त्म हो गया था। फिर बाद में इसे दोबारा खेले जाने लगा और अंत में इसके एक ओवर में 6 गेंद का चलन शुरू किया गया। विश्व में पहला अंतरराष्ट्रीय Cricket मैच 1844 में अमेरिका और कनाडा के बीच खेला गया था।
History of Cricket in India
भारत में Cricket अंग्रेज़ों द्वारा लाया गया था। भारत में पहला Cricket मैच सन 1721 में खेला गया था। सन 1792 में पहला भारतीय कलकत्ता Cricket क्लब बना। अंग्रेज़ों ने 18वी सदी तक Cricket को निजी खेलों की तरह खेला। शुरुआती दिनों में Cricket सिर्फ अंग्रेज़ों द्वारा खेले जाने वाला खेल था। भारतीयों को इस खेल से दूर रखा जाता था।
1848 में पहला भारतीय Cricket क्लब बना। इस क्लब का नाम ओरिएंटल Cricket क्लब था जो मुंबई में स्थित था। ओरिएंटल Cricket क्लब के फाउंडर पारसी समाज के लोग थे। जो मुंबई के सबसे बड़े व्यापारियों में से एक थे। अमीर होने के कारण पारसी सबसे पहले अंग्रेज़ों के संपर्क में आ गए।
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पारसियों के इस Cricket क्लब से अंग्रेज़ों को बहुत गुस्सा आया। और अंग्रेज़ों ने पारसियों को अपने जिमखाना यानी स्टेडियम में खेलने से मना कर दिया। इसके बाद पारसियों ने अपना खुद का जिमखाना यानी स्टेडियम का निर्माण किया। और पारसियों द्वारा बनाए ओरिएंटल Cricket क्लब ने 1889 में अंग्रेज़ों के मुंबई Cricket क्लब को हरा दिया।
पारसियों की जीत के बाद भारत के लोग अपने अपने जाती व धर्म के आधार पर Cricket क्लब बनाने लगे और एक दूसरे को हराने लगे। भारत में पहला Cricket टूर्नामेंट में इन चार अँग्रेज़, पारसी, हिन्दू और मुस्लिम की टीमों ने हिस्सा लिया। बाद में भारतीय ईसाइयों ने अपना भी एक Cricket क्लब बना लिया।
भारत की आज़ादी के समय लोगों ने Cricket टीम को धर्मों से अलग कर राज्यों के आधार पर नियुक्त किया। अब Cricket टूर्नामेंट धर्मों के आधार पर नहीं बल्कि राज्यों के आधार पर खेला जाने लगा। इस तरह की टूर्नामेंट को रणजी ट्रॉफी का नाम दिया गया।
Cricket in Hindi Name
Cricket एक अंग्रेजी शब्द है जिसका अर्थ टिड्डा (जंगली कीट) होता है। हिंदी में Cricket खेल को गोलगट्टम लकड़ पट्टम दे दनादन प्रतियोगिता कहा जाता है। इसमें गोलगट्टम मतलब गेंद लकड़ पट्टम मतलब लकड़ी का फट्टा और दे दनादन मतलब पीटना होता है।
एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच का इतिहास
सन 1960 में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI - One Day International) मैच की शुरुआत हुई। इसमें दोनों टीमों को सिर्फ एक बार बल्ले बाज़ी और गेंद बाज़ी का मौका मिला। गेंद बाज़ी सिर्फ 50 ओवर का रख दिया गया। अब दोनों टीमों को एक ही दिन में गेंद बाज़ी और बल्ले बाज़ी करने का मौका मिलने लगा।
पहले दर्शकों को कई दिनों तक मैच देखना पड़ता था जिससे दर्शकों की संख्या कम होने लगी थी। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच के आने के बाद अब दर्शकों को भी एक ही दिन में मैच का परिणाम मिलने लगा। जिससे दर्शकों की संख्या फिर से बढ़ने लगी और व्यस्त रहने वाले लोग भी Cricket मैच का लुप्त उठाने लगे।
विश्व का पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट (World Cup) 1971 में हुआ। इस टूर्नामेंट में सभी देशों के Cricket टीमों ने हिस्सा लिया। इस एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अधिकतम 50 ओवर की गेंद बाज़ी तय की गई। जिसमें वेस्ट इंडीस को जीत मिली। और इस तरह वेस्ट इंडीस ने विश्व का पहला Cricket World Cup अपने नाम कर लिया।
धीरे धीरे Cricket को एक व्यापर के रूप में भी देखा जाने लगा। जिसमे बड़े बड़े व्यापारियों द्वारा Cricket की टीमों को स्पोंसर किया जाने लगा। समय की पाबंदियों के कारण 2004 में Cricket में एक और क्रन्तिकारी बदलाव किया गया। जिसमे एक दिवसीय अंतराष्ट्रीय मैच के लिए मात्र 20 ओवर की गेंदबाज़ी रखी गई। जिसे आज T-20 का नाम दिया गया।